Not known Details About Shodashi
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There are actually many great things about chanting the Shodashi Mantra, away from which The most crucial types are talked about below:
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥
चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
On the 16 petals lotus, Sodhashi, who's the form of mother is sitting down with folded legs (Padmasana) removes many of the sins. And fulfils each of the wishes with her 16 sorts of arts.
श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
Goddess also has the title of Adi Mahavidya, which implies the entire Variation of actuality. In Vedic mantras, she's called the Goddess who sparkles with the check here beautiful and pure rays on the Solar.
Her purpose transcends the mere granting of worldly pleasures and extends for the purification in the soul, resulting in spiritual enlightenment.
॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि